Tuesday 16 August 2011

खुशी
















आज जो  भी खेत मेरे लह्लहा रहे है ....
उन्हे मेरे आंसुओसे सिंचा है..........
जो नही बचा मेरे पास .............
खुशी के लिये हमारी उसी कोही बेचा है ....
@राम मोरे/६०८२०११/१२३०

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