Wednesday, 10 August 2011

छोड दे सारी दुनिया













बस यही अपराध मै किया हू .. फुलो से प्यार किया बैठा हू !
ना जाने क्या कर बैठा हू .. एक पत्थर को पुजता गया हू ..
दिल में अपने उसे बिठाकर .. खुद को ही सदा भुलता गया ..
जाना नही जवाब यही मिले .. नफरत से कोई कहा मिले ..
दुनिया यही धुंडती रही मुझे ..मुकाम मेरा जाने कहा मिले ..
आयीना सदा  धुंडता रहा मै ..शायद घर मेरा  वहा मिले ..
तन्हाई में हरदम  जीता गया .. संसार मेरा यही  शायद मिले ..
दुनिया में आबादी खुशिया सदा ..उन्हेही पहले पहले सभी मिले ..
उनकी तो  झोली भरी रहे .. बदनामी,जिल्लत मुझे ही मिले ..

@राम मोरे /११०८२०११/०८२४स.

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